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"अभिमन्यु गर्भ संस्कार" एक प्रमुख पहल है, जिसकी संकल्पना महाभारत से ली गई है, जहाँ अभिमन्यु ने अपनी माँ के गर्भ में रहते हुए चक्रव्यूह भेदने की कला सीखी थी। यह कथा गर्भस्थ शिशु के शिक्षण और संस्कार की संभावनाओं का उदाहरण मानी जाती है। "अभिमन्यु गर्भ संस्कार" कार्यशाला या ऑनलाइन कोर्स गर्भवती महिलाओं और उनके जीवन साथी को गर्भावस्था के दौरान किए जाने वाले विभिन्न गतिविधियों के महत्व को समझाया व सिखाया जाता हैं, जिससे एक स्वस्थ, सुदृढ़, समृद्ध, सुसंस्कृत, और सर्वगुण संपन्न संतान का जन्म होता है।
मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति: इन कार्यशालाओं में ध्यान, योग, प्रार्थना, और आध्यात्मिक व जीवनोपयोगी उपदेशों के माध्यम से गर्भवती महिला और उसके बच्चे की मानसिक और आध्यात्मिक शांति और उन्नति पर जोर दिया जाता है, जिससे बच्चे के सुखी और सफल जीवन की नींव रखी जाती है।
सकारात्मक ऊर्जा और वातावरण: गर्भावस्था के दौरान सकारात्मक ऊर्जा और वातावरण का महत्व समझाया जाता है, जिससे गर्भस्थ शिशु का समग्र विकास होता है।
शैक्षणिक जानकारी और मार्गदर्शन: गर्भवती महिलाओं और उनके साथियों को गर्भावस्था के दौरान आवश्यक आहार, व्यायाम, और स्वास्थ्य संबंधी सलाह दी जाती है।
संस्कार और मूल्यों का प्रदर्शन: गर्भस्थ शिशु पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक संस्कारों का महत्व समझाया जाता है।
सामाजिक समर्थन और नेटवर्किंग: इन कार्यशाला और कोर्सों में भाग लेने वाले व्यक्तियों को समान विचारधारा वाले लोगों से जोड़ा जाता है, जिससे सामाजिक समर्थन और नेटवर्किंग की संभावना मिलती है।
नौ प्रकार के गर्भसंस्कार: नौ प्रकार के गर्भसंस्कारों में सीधा सहयोग देने से बच्चे का पूरा जीवन निर्धारित होता है, और इसकी अनुभूति और विश्वास भी प्राप्त होता है।
तनाव और भय मुक्ति और आनुवांशिकता शुद्धि: गर्भवती महिलाओं के लिए तनाव और भय मुक्ति तथा आनुवांशिकता शुद्धि अत्यंत महत्वपूर्ण है। गर्भावस्था के दौरान माँ की मानसिक अवस्था सीधे गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव डालती है, जिससे उनके भविष्य के स्वास्थ्य, व्यवहारिक पैटर्न, और शारीरिक विकास पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है। गर्भावस्था के दौरान तनावमुक्त और आनंदी रहने की प्राथमिकता होनी चाहिए, इस पर "अभिमन्यु गर्भ संस्कार" कार्यशाला में सुंदर और सफलतापूर्वक काम किया जाता है।
"अभिमन्यु गर्भ संस्कार" कार्यशाला में भागीदारी न केवल गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ और सकारात्मक रहने में मदद करती है, बल्कि यह भविष्य की पीढ़ी को उच्च नैतिक मूल्यों, संस्कारों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को पारित करने का माध्यम भी बनती है। "अभिमन्यु गर्भ संस्कार" एक अत्यंत महत्वपूर्ण उपक्रम है, जिसके संस्थापक और संचालक श्री मनोज बुब ने गर्भ संस्कार पर अब तक का सबसे बड़ा अनुसंधान और प्रचार किया है। इस कार्यशाला में भाग लेने वाली गर्भवती महिलाओं को और उनके जीवन साथियों को गर्भावस्था के दौरान आवश्यक देखभाल, पोषण और संतानोत्पत्ति के लिए आवश्यक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक उपायों की जानकारी मिलती है। इसलिए, इस कार्यशाला का आयोजन और भागीदारी न केवल भारत में बल्कि विश्व भर में भारतीय समाज में भी लोकप्रिय है।
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